ज़िंदगी का सफर - 💞हमसफ़र के साथ💞 "भाग 4"
सुमित्रा जी ने आगे बढ़कर किआरा के आँशु साफ किये और सभी से बोली
सुमित्रा जी :- अब बताइये आप सब कैसा लगा भजन
सरिता :- बहुत ही प्यारा गाया आपकी बहु ने सुमित्रा बहन, मन प्रसन्न हो गया, बहुत ही मधुर आवाज है आपकी बहु की😊
दूसरी औरत :- हा बहन सरिता बहन सच बोल रही है सचमे बहुत ही अच्छी आवाज है आपकी बहु की, ऐसे लगा जैसे सरस्वती माता आ गई हो
सभी औरतो किआरा की तारीफ की करने लगी, ये देखकर सुमित्रा जी बहुत खुश हुई
फिर सुमित्रा जी ने आध्या को बोला इवान को नीचे लाने के लिए तो आध्या इवान के रूम में गई और इवान से बोली
आध्या :- भाई आप नीचे आ जाइये माँ ने बुलाया है आपको
इवान :- तुम चलो आध्या में आता हु
आध्या :- ठीक है भाई जल्दी आइयेगा, सब आपका इंतज़ार कर रहे है
इवान :- ठीक है मैं आता हु
आध्या नीचे चली जाती है तो इवान वाशरूम में जाकर अपना चेहरा धोता है, क्युकी बालकनी में खड़े होकर रोने से उसकी आँखे लाल हो गई थी, थोड़ी देर बाद अपने आपको नॉर्मल करके इवान नीचे चला जाता है तो सुमित्रा जी उसे किआरा के बगल में बैठाती है और बोलती है
सुमित्रा जी :- बेटा अब आप दोनो की कंगन खोलने की रश्म होगी जिसमे आपको अपने साथी के हाथ में बंधे हुये कंगन को खोलना है वो भी एक हाथ से, और हा उस कंगन में सात गांठ होती है जिसने सातो गांठे सिर्फ अपने एक हाथ से खोल दी वो जीत जायेगा और अगर नही खोल पाया तो वो पहले अपनी हार मानेगा फिर बाद में अपने दोनो हाथो का इस्तेमाल कर सकता है
अध्विक ( हैरानी से ) :- लेकिन माँ सिर्फ एक हाथ से कैसे खोल पाएंगे भाई भाभी गांठ
सुमित्रा जी ( मुस्कुराते हुये ) :- बेटा यही तो चुनौती है अब देखते हो दोनो कैसे इसे पुरा कर पाते है ये हार मान लेंगे
आन्या ( एक्साइटेड होकर ) :- वाओ बड़ी माँ इसमे तो बहुत मज़ा आएगा, अब देखते है कौन जीतेगा और कौन हारेगा😜
सुमित्रा जी पहले किआरा को कंगन खोलने के लिए बोलती है तो वो छः गांठे आसानी से खोल देती है लेकिन आखिरी में उलझ जाती है और परेशान होती है, तो इवान उसे परेशान देखता है उसे यु गांठ के लिए परेशान देख इवान उसकी मदद अपने एक हाथ से कर देता है, फिर इवान की बारी आती है वो भी अटक जाता है तो किआरा भी अपने एक हाथ से उसकी मदद करती है और सारी गांठे सुलझ जाती है
ये देखकर सभी औरते मुस्कुरा देती है, तभी आध्या बोलती है
आन्या :- बड़ी माँ देखो भाई भाभी ने चीटिंग की है
आरव :- यस बड़ी माँ देखिये भाई भाभी ने एक दूसरे की हेल्प करके चीटिंग की
आध्या और अध्विक :- हा माँ भाई भाभी ने चीटिंग की
सुमित्रा जी उन चारो को चुप करवाते हुए बोली
सुमित्रा जी :- नहीं बच्चों इसको चीटिंग करना नहीं कहते बल्कि एक दूसरे का साथ देना कहते है, इस चुनौती में यही तो परीक्षा होती है की एक साथी अपनी जीत के लिए अपने साथी को पीछे छोड़ेगा या उसका साथ देकर, उसका साथ निभायेगा और कदम से कदम मिलाकर चलेगा, बिना अपनी हार और जीत के बारे में सोचते हुए, और ये मेरे बच्चों ने साबित कर दिया है की वो हमेशा एक दूसरे का साथ निभाएंगे बिना अपनी हार और जीत के बारे में सोचते हुए, एक दूसरे के हमसफ़र बनकर 🥰
ये सुनकर इवान और किआरा एक दूसरे की तरफ देखने लगते है और अपनी नजरें फिर सामने कर लेते है, सभी सुमित्रा जी की बात सुनकर तालीया बजाते है, तभी सुमित्रा जी फिर बोलती है
सुमित्रा जी :- चलो अब तालिया बजाना छोड़ो और अब अगली रश्म के लिए तैयार हो जाओ
आन्या :- कोनसी रश्म बड़ी माँ
सुमित्रा जी :- देवर को गोद में बैठाने की रश्म
आध्या :- इसमे क्या होता है माँ
सुमित्रा जी :- इसमे देवर अपनी भाभी की गोद में बैठता है और तब तक नहीं उठता जब तक उसे उसका नेक ना मिल जाए, जैसे ही उसे नेक मिल जायेगा तो उठ जायेगा
अध्विक :- नेक कौन देगा माँ
सुमित्रा जी :- नेक बेटा भाभी देती है, अगर उसके पास ना हो उस समय तो भाई भी दे सकता है
अध्विक :- फिर तो में बैठूंगा भाभी की गोद में, वाओ फिर मुझे गिफ्ट भी मिलेगा
सुमित्रा जी :- चुप कर पागल, तु नहीं बैठेगा तु बैठा तो मेरी बहु के पेर टुट जायेंगे, आरव बैठेगा समझे बहु की गोद में, वो सबसे छोटा भी है इसलिए
अध्विक :- ओके माँ, लेकिन सबसे छोटा आरव नहीं है हमारा छोटू सा क्यूट सा उत्कर्ष है
सुमित्रा जी :- हा उत्कर्ष छोटा है लेकिन वो किआरा का बेटा है इसलिए समझे
फिर आरव ( इवान का चचेरा और सबसे छोटा भाई जो 10 साल का है ) को अपने पास बुलाकर बोली
सुमित्रा जी :- आरव बेटा जाओ और अपनी भाभी की गोद में बैठो और तब तक मत उठना जब तक तुम्हे तुम्हारा नेक ना मिल जाए
आरव :- ओके बड़ी माँ
आरव जाकर किआरा की गोद में बैठ जाता है तो आन्या बोलती है
आन्या :- गुड आरव ऐसे ही बैठे रहना उठना मत जब तक भाभी गिफ्ट ना दे
आध्या :- हा, अगर भाभी आपके पास ना हो तो कोई बात नहीं भाई है ना वो दे देंगे क्यू भाई
अध्विक :- भाई क्यू देंगे, आरव तो भाभी की गोद में बैठा है तो भाभी देगी भाई की गोद में थोड़ी बैठा है जो वो देंगे
आरव :- बड़ी माँ भाभी से गिफ्ट लेकर मैं भाई की गोद में बैठकर उनसे भी गिफ्ट ले सकता हु
आरव ने ये इतनी मासूमियत से कहा की सभी हस दिये और पायल जी बोलती है
पायल जी :- हाँ जरूर बेटा, बैठ सकते हो अपने भाई की गोद में भी
ये सुनकर आरव खुश हो जाता है तो सभी उसके बचपने पर मुस्कुरा देते है ।
किआरा उसे मिठाई खिलाती हो फिर एक गिफ्ट बॉक्स उसके हाथ में दे देती है, आरव किआरा को थैंक्यू बोलकर इवान की गोद में बैठने को होता है उससे पहले ही इवान जल्दी से बोल पड़ता है
इवान :- अरे बस बस आरु तुझे मेरी गोद मैं बैठने की जरूरत नहीं है गिफ्ट तो में तुझे वैसे ही दे सकता हु ( एक गिफ्ट बॉक्स आरव के हाथ में रखकर ) ये ले तेरा गिफ्ट, जा अब मज़े कर
आरव ( खुशी से उछलते हुए ) :- ये मेरे पास दो दो गिफ्ट वाओ, आय एम वैरी वैरी हप्पी
सभी आरव को इतना खुश देख मुस्कुरा देते है, तभी आध्या और आन्या अपने हाथ में उत्कर्ष ( इवान का बेटा ) और वन्या ( इवान की बेटी ) को लाती है और दोनो को किआरा को देते हुए बोलती है
आध्या और आन्या :- लीजिये भाभी आपने इनको लाने को कहा था हम ले आये
पायल जी :- पर बेटा बच्चों को क्यू ले आये
सुमित्रा जी ( किआरा से ) :- हा बेटा अपने क्यू बच्चों को लाने को कहा इनसे
इवान भी किआरा से वन्या को अपनी गोद में लेकर उसकी तरफ सवालियों नज़रो से देखने लगता है ।
To be continued...................
Prashant Chouhan
11-Nov-2022 06:11 PM
Nice chapter 😍
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Miss Chouhan
11-Nov-2022 11:15 AM
Nice story😊😊😊
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Seema Priyadarshini sahay
10-Oct-2022 06:21 PM
बहुत खूबसूरत
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